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लघुकथा : मोम

प्रहार
प्रहार
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“रोहन! अब ये आदत कहाँ से सीख रहा है ! रोमी आंटी को नमस्ते क्यों नही किया?” रमेश गुस्से में बोला !

“थॉरी पापा!” रुआंसा आवाज थी रोहन की !

“ह्वाट सॉरी…गलती फिर सॉरी..कोई सॉरी नही मिलेगी !”

“अरे बेटा! अब जाने भी दो ! पाँच साल का भी तो नही है ये….” कमरे में बैठे बुज़ुर्ग बोले ही थे कि रमेश बीच में ही बोल पड़ा, “पिताजी, आपको पता है न, मुझे टोक पसंद नही, फिर भी? शांत रहिए !”  बुज़ुर्ग चुप हो गए ! रमेश बोलता रहा !

अगले दिन ! स्कूल में !

“रोहन! बातें नही, इधर ध्यान दो !” टीचर बोली !

“मैम, आपतो पता है न, मुझे तोक पतंद नही, थांत रहिए !” रोहन एकदम सहजता से बोला !


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