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काश कोई होता जिसपे मेरा अधिकार होता!
काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!
जिसके बिन मेरा जीवन पतझड़ सा ही सूना है!
पास है मेरे सबकुछ पर वो नहीं तो फिर क्या है!
पतझड़ से सूने जीवन में बनकर बहार होता!
काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!
प्रेम कहानी, गीत-गज़ल मन को रास नहीं आते!
प्रेम-प्रणय, शृंगार-भाव मन को अतिशय तड़पाते!
बस मेरी खातिर ही जिसका सारा शृंगार होता!
काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!
प्रिया व् प्रेमी की बातें दिल पर तीर चलाती हैं!
उसपर सुकोमल प्रीत वो पीड़ा और बढाती है!
जिसके होठों पर हरइक पल मेरा पुकार होता!
काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!
जब खुद पर से भी मेरा विश्वास कभी खो जाए!
जब मेरी सब हिम्मत गहरी नींद में सो जाए!
जब जीवन की राह में निराश कभी मै रुक जाऊं!
जब संघर्षों के आगे कायर सा मै झुक जाऊं!
ऐसे क्षण में भी जिसको मुझपर ऐतवार होता!
काश कोई होता जिसको मुझसे भी प्यार होता!
-पीयूष द्विवेदी भारत
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